गुरु महाराज की बाणीजी चार विभाग मे है। बाणीजीमे दिया हुआ ज्ञान सब स्वानुभवपे निर्भर है। और कोईभी संत उसे अपनी कसोटी पे जांच सकता है। यह गुरु महाराज का दावा है।
(१)ग्रंथ :- १ से १८ भाग.
(२)संवाद :- १ से १७ भाग
(३)अंग :- १ से ६६ भाग
(४)पद :- १ से ४२६ भाग
मुल बाणीजी ‘राजस्थान मारवाडी’भाषा मे है। लेकिन उसे महाराष्ट्रके अमरावती जीले के सतगुरु ‘राधाकिसनजी महाराज’ने मराठी भाषा मे बडी मेहनतसे भाषांतरीत किया है।
अभी उसे गुजराथी,तथा हिंदी मे अनुवादकरने का काम हमारे रामद्वारासे शुरु है।