केवलकी भक्ती और आचारसंहिता

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केवलकी भक्ती और आचारसंहिता

कोई भी मनुष्य जीव सतगुरू सुखरामजी महाराज को अपना निजमन देकर,

निम्न दियी हुई आचारसंहिता का पालन करके विधीके अनुसार सुमिरण करेगा,

तो उसके घटमे’कुद्रत कला’अवश्य प्रगट होगी,और उसके दसवे द्वार खुलकर उसके परे उसे अखंड ध्वनी सुनाई देगी।

(अ)आचार-सहिंता

(१)तबांखू,बिडी,सिगरेट,गुटखा आदि नशिली चीजोंका सेवन ना करे।
(२)मद्यपान ना करे।
(३)मांसाहार का सेवन ना करे।
(४)व्यभिचार ना करे।
(५)सहज जीवन व्यतीत करे।

(ब)भक्ती का विधी

(१)सुखासनमे बैठके रीढ्की हड्डी सीधी रखॆ,और आंखे बंद रखना है।
(२)आती-जाती सांसमे ‘राम’नाम का सुमिरण करे।
(३)सांस की कोईभी कसरत नही करना है,
(४)आती(अंदरकी)सांस मे बीस शब्द(रामनाम का)लेनेका प्रयास करना है।
शुरुमे अगर कम शब्द लिये जाते हो,तो भी कोई चिंता करनेकी आवश्यकता नही है।
(५)लेकिन सुमिरण(भजन)धारोधार करना है।
(६)हर दिन कमसे कम ७२ मिनिट भजन करना है।

सूचना:- भक्ती या विधी के बारेमे कोई भी प्रश्न हो,तो जरुर हमे संपर्क करे।

॥राम राम सा॥

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